CG Big News : जर्जर सिविल अस्पताल में मंडरा रहा खतरा.! इलाज कराने आई युवती पर गिरा जर्जर भवन के छत का टुकड़ा..हुई घायल..पढ़ें पूरी ख़बर

CG Big News : जर्जर सिविल अस्पताल में मंडरा रहा खतरा.! इलाज कराने आई युवती पर गिरा जर्जर भवन के छत का टुकड़ा..हुई घायल..पढ़ें पूरी ख़बर

Chhattisgarh News/खैरागढ़। खैरागढ़ जिला बनने के बाद जिस सिविल अस्पताल खैरागढ़ से आधुनिक स्वास्थ्य सेवाओं की उम्मीदें थीं, वही अब अपनी जर्जर हालत से मरीजों की जिंदगी पर खतरा बन गया है। इलाज के लिए यहां भर्ती ग्राम आमदनी निवासी 20 वर्षीय दीपिका वर्मा गंभीर हादसे की शिकार हो गई। इलाज के दौरान पुराने भवन की छत का हिस्सा टूटकर उस पर गिर गया। दीपिका घायल हुई, फिलहाल उसकी हालत स्थिर है, लेकिन यह घटना प्रशासन की अनदेखी पर गंभीर सवाल खड़े करती है।

वहीं, अस्पताल परिसर में नया भवन बनकर तैयार है, मगर नर्सों और स्टाफ की भारी कमी के कारण वहां वार्ड शुरू ही नहीं हो पाए। परिणामस्वरूप मरीजों को मजबूरी में 90 साल पुराने जर्जर भवन में भर्ती करना पड़ रहा है। स्थिति यह है कि पूरे जिला अस्पताल की व्यवस्था महज 7 नर्सों पर टिकी हुई है।

वहीं, डॉक्टर विवेक बिसेन बताते हैं कि भवन की मरम्मत और सुधार के लिए शासन को कई बार प्रस्ताव भेजे गए, लेकिन अब तक किसी स्तर पर कार्रवाई नहीं हुई।

रियासत काल की शान, आज बदहाली की पहचान

दरअसल, इस अस्पताल का इतिहास गौरवशाली रहा है। 1936 में रियासत कालीन राजा बीरेन्द्र बहादुर सिंह और राजकुमार विक्रम बहादुर सिंह ने जनता के लिए एक भव्य मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल बनवाया था। अंग्रेज़ी हुकूमत ने पहले विरोध किया, लेकिन निर्माण देखकर वह भी प्रभावित हुई। उस समय इसे जॉर्ज सिल्वर जुबली अस्पताल नाम दिया गया और यह क्षेत्र का सबसे आधुनिक चिकित्सा केंद्र बना। स्वतंत्रता के बाद इसे सिविल अस्पताल खैरागढ़ का नाम मिला, लेकिन समय के साथ संसाधनों की कमी और उपेक्षा ने इसे बदहाल कर दिया। आज 88 साल पुराना यह अस्पताल अपनी जर्जर दीवारों और दरारों के बीच खुद सवाल कर रहा है कि आखिर मरीज यहां इलाज कराने आते हैं या जान जोखिम में डालने। नर्सें और डॉक्टर भी अपनी सुरक्षा दांव पर लगाकर ड्यूटी कर रहे हैं।

फिलहाल, हादसे के बाद अब स्थानीय लोग और स्वास्थ्यकर्मी एक सुर में कह रहे हैं कि शासन-प्रशासन को जल्द से जल्द इस अस्पताल का कायाकल्प करना होगा, वरना अगला हादसा और भी बड़ा हो सकता है। जिला बनने के बाद लोगों को उम्मीद थी कि खैरागढ़ में स्वास्थ्य सेवाएं बेहतर होंगी, लेकिन हालात उलट हैं। नया भवन खाली है, पुराना खंडहर हो चुका है और व्यवस्था सिर्फ गिनी-चुनी नर्सों पर टिकी हुई है। सवाल यह है कि जब तक प्रशासन सुध नहीं लेता, तब तक मरीज और उनके परिजन किस भरोसे इलाज कराने इस अस्पताल में आएं?