Jashpur Big News : ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर.! दोकड़ा में हुआ देव स्नान महोत्सव..पूरी धाम की परंपराओं पर हुआ भव्य पूजा..गूंज उठा मंदिर परिसर..पढ़ें पूरी खबर

Jashpur Big News : ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर.! दोकड़ा में हुआ देव स्नान महोत्सव..पूरी धाम की परंपराओं पर हुआ भव्य पूजा..गूंज उठा मंदिर परिसर..पढ़ें पूरी खबर

दोकड़ा/जशपुरनगर : छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले में बुधवार को दोकड़ा के ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर में देव स्नान महोत्सव का आयोजन भव्यता और श्रद्धा के साथ किया गया। यह अनूठा पर्व ओडिशा के पूरी धाम की पारंपरिक विधियों के अनुसार संपन्न हुआ, जहां भगवान श्री जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा जी को पवित्र जल से स्नान कराकर उन्हें श्रृंगारित किया गया। इस आध्यात्मिक आयोजन में हजारों श्रद्धालु भाग लिये, जिससे गांव का वातावरण पूर्णतः भक्तिमय हो गया।

ज्ञात हो कि, ऐतिहासिक श्री जगन्नाथ मंदिर, दोकड़ा में बुधवार को देव स्नान महोत्सव का भव्य आयोजन हुआ। यह आयोजन पूरी धाम, ओडिशा की पारंपरिक विधियों के अनुसार संपन्न हुआ। प्रत्येक वर्ष की भांति इस वर्ष भी हजारों श्रद्धालु इस आयोजन में भाग लिए जो दूर-दूर से पहुंचे थे।

फिलहाल, इस पावन अवसर पर मंदिर प्रांगण में भक्ति और श्रद्धा का अद्भुत संगम देखने को मिला। कीर्तन मंडलियों की सुमधुर भजनों की ध्वनि से वातावरण भक्तिमय हो उठा। मंदिर समिति ने कार्यक्रम की तैयारियां पूर्ण कर लिया और सुरक्षा व सुविधा व्यवस्था भी सुदृढ़ किया गया।

कार्यक्रम का विस्तृत विवरण इस प्रकार है –

दोपहर 1:00 बजे – मंगल आरती एवं कीर्तन मंडली का शुभारंभ

1:30 बजे – पहुंडी (भगवान जगन्नाथ, बलभद्र एवं देवी सुभद्रा की विशेष शोभायात्रा)

2:30 बजे – देव स्नान (भगवानों का पवित्र जल से अभिषेक)

3:30 बजे – महाप्रभु श्रृंगार एवं गजानन वेश दर्शन

4:00 बजे – आरती एवं पुष्पांजलि अर्पण

4:30 बजे – महाप्रसाद वितरण

रथयात्रा की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि

वहीं, श्री जगन्नाथ रथयात्रा का प्रारंभ दोकड़ा में वर्ष 1942 में हुआ था। इसकी नींव स्वर्गीय सुदर्शन सतपथी एवं उनकी धर्मपत्नी स्वर्गीय सुशीला सतपथी ने रखी थी। यह परंपरा आज भी श्रद्धा और भक्ति के साथ निभाई जा रही है।

दरअसल, इस वर्ष भी विशाल रथ का निर्माण ओडिशा के प्रसिद्ध संबलपुर से आए कारीगरों द्वारा किया जा रहा है। रथ की कारीगरी और अलंकरण दर्शनीय है, जो स्थानीय संस्कृति और ओडिशा की परंपरा का समावेश प्रस्तुत करता है।

स्थानीय जनमानस में दिखा उत्साह 

फिलहाल ग्रामवासी, श्रद्धालु एवं भक्तजन इस उत्सव को लेकर अत्यंत उत्साहित दिखे। विशेष तौर पर बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों के लिए यह दिन एक आध्यात्मिक पर्व के रूप में मनाया जा गया। क्षेत्र के धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों ने भी महोत्सव को सफल बनाने में अपना योगदान दिया।