सीएम के निर्देश पर चल रहे डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य अब जशपुर तहसील क्षेत्र में हुआ प्रारंभ : तहसीलदार,आरआई,पटवारी सहित सर्वेयर जुटे अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाने

जशपुर : मुख्यमंत्री के निर्देश पर राज्य भर में शुरू हुवे डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य जशपुर जिला में भी प्रारंभ किया गया।राजस्व विभाग अंतर्गत हो रहे डिजिटल क्रॉप सर्वे का कार्य जशपुर तहसील में शुरू हो चुका है,इस कार्य में पटवारी,आरआई और तहसीलदार अपनी अपनी जिमेदारी निभाने तत्पर हो चुके है।
ज्ञात हो कि डिजिटल क्रॉप सर्वे जशपुर तहसील में शुरू हो चुका है, इसमें जशपुर तहसील के ऐसे गाँव जिनकी जिओ रिफ्रेसिंग हो चुकी है,वहां यह सर्वे किया जा रहा है। डिजिटल क्रॉप सर्वे में होने वाले कार्यों के अनुसार इसमें प्रत्येक गाँव के प्रत्येक प्लाट में उगने वाले फसल अथवा किसी भी संरचना की जानकारी डिजिटली फीड की जा रही है।इस कार्य के तहत प्रत्येक गाँव से सर्वेयर का चयन किया गया है,जिनकी न्यूनतम योग्यता 10 वी पास है,उक्त कार्य हेतु 1 गाँव में 20 सर्वेयर मोबइल एप्लीकेशन के माध्यम से प्लाट में उगे फसल की जानकारी भरेंगे। डिजिटल क्रॉप सर्वे के कार्य में राजस्व विभाग के तरफ से पटवारियों को सुपरवाइजर की भूमिका दी गयी है जो सर्वेयर को टास्क अलॉट करेंगे तथा उन कार्य पर नजर बना निरंतर मॉनिटरिंग करेंगे। जिसके उपरांत आरआई वेरीफायर की भूमिका निभाते हुवे आगे की कार्यवाही में गति देंगे।इतना होने के बाद निरीक्षक की भूमिका का रोल अदा करने की जिम्मेदारी संबंधित तहसीलदार की होगी। इससे फसलों के क्षेत्रफल की वास्तविक जानकारी मिलेगी,जिससे शासन को योजनाएं बनाने में मदद मिलेगी।
*क्या है डिजिटल क्रॉप सर्वे*
डिजिटल क्रॉप सर्वे में निजी सर्वेयर की भूमिका जियो फ्रेंस के रूप में होगी, जो डिजिटल रूप से फसल का सर्वे सभी खेतों में जाकर करेंगे। निजी सर्वेयर को प्रतिदिन 30 से 50 खसरों का टास्क दिया जायेगा। जिसे सर्वेयर खेत में जाकर लॉगिन करेंगे।
उनसे तहसीलदार पूछेंगे क्या आप अवलेबल हैं और हां में जवाब आएगा। वैसे ही एप में प्लॉट की स्थिति, खसरा नंबर, एरिया ऑनर का नाम अपने आप फीड हो जायेगा। जो क्रॉप लगी है उसका तीन फोटो लॉन्गिट्यूट लैटिट्यूट के साथ अपलोड करना है। इस प्रकार एक नंबर का कार्य पूर्ण होगा। जिसमें पटवारी की भूमिका पर्यवेक्षक और राजस्व निरीक्षक की भूमिका सत्यापनकर्ता तथा तहसीलदार व नायब तहसीलदार की भूमिका जांचकर्ता अधिकारी के रूप में की गई है।सर्वेक्षकों द्वारा संपादित सभी खसरे आरआई के पास नहीं आयेंगे। सर्वेक्षकों द्वारा सर्वे किये गए खसरे पटवारी के पास आयेंगे। पटवारी या अनुमोदन करेगा या रिसेंड करेगा। पटवारी द्वारा दो बार रिजेक्ट होने की स्थिति में आरआई के आईडी में आयेगा। ऐसे खसरों की संख्या बहुत कम होगी, जहां मौके में जाकर आवश्यकतानुसार सत्यापन किया जाएगा। इसके तहत फील्ड में क्या बोया गया है फसल की जींस का नाम, मिश्रित फसल की स्थिति में सभी फसलों का अनुमानित रकबा, सिंचित- असिंचित फसल, एकवर्षीय या बहुवर्षीय, सीजनल फसल की जानकारी आदि भरी जायेगी। सर्वेयर द्वारा साफ्टवेयर में बोये गये जींस व एकल व मिश्रित फसल की स्थिति में बोये गये फसल या पड़त रकबा की अनुमानित प्रविष्टि करेगा।
जब तक साफ्टवेयर में जियोरिफ्रेंस्ड रकबा के अनुसार सर्वे किए गए रकबा का योग एक समान नहीं आयेगा, तब तक डेटा सेव नहीं होगा। सर्वेयर किसी भी खसरा नंबर की भूमि के मेड़ में खड़े होकर फोटो कैप्चर नहीं करेगा। यदि ऐसा वे करते हैं तो आसपास के खसरा नंबर के लैटलांग मिस्डमैच होगा। इसलिए सर्वेयर प्रत्येक खसरा नंबर की भूमि के अंदर कम से कम मेड़ से 10 मीटर की दूरी पर जाकर प्रयोग संपादित करेगा। यदि पिक्चर में गेहूं फसल दिख रहा पर सर्वेक्षक ने धान प्रविष्ट किया हो अथवा प्लाट खाली है और फोटो गन्ना का अपलोड किया है, तो वही डेटा को पटवारी रिसेंड करेगा। सर्वेक्षक सुधार कर फिर से पटवारी को भेजेगा। यदि पटवारी पुन: रिजेक्ट करता है तब आरआई के आईडी में आयेगा। पटवारी द्वारा परंपरागत ढंग से की जाने वाली गिरदावरी से यह फिलहाल अलग है। धान खरीदी पटवारी द्वारा की गई गिरदावरी के आधार पर की जाएगी।
डिजिटल क्राप सर्वे उन्हीं ग्रामों में की जायेगी, जहां जियोरिफ्रेंसिंग का सेकेंड लेवल कार्य का संपादन हो गया है। सभी ग्रामों के खसरा नंबरों में नहीं की जाएगी। यह शासन की बहुआयामी योजना है। सकारात्मक ढंग से इस कार्य का संपादन करना है। साफ्टवेयर बहुत ही आसान बनाया गया है। किसी भी वर्जन के एंड्रॉयड मोबाईल में प्रयोग किया जा सकता है, जिसमें ये सपोर्ट करें। इसके लिए जिले में पटवारी,आरआई को प्रशिक्षण दिया जा चुका है। गौरतलब है की राज्य में डिजीटल क्रॉप सर्वे हेतु बलौदाबाजार तहसील का चयन किया गया है।