CG News : "संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चला, विरोध तो हुआ फिर भी मानसून सत्र बहुत कुछ दे गया"- सांसद बृजमोहन अग्रवाल

Chhattisgarh News/रायपुर । संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होकर 21 अगस्त तक चला। इस दौरान 32 दिनों में कुल 21 बैठकें हुईं। सत्र में 14 विधेयक लोकसभा में पेश किए गए, एक विधेयक वापस लिया गया और 15 विधेयक लोकसभा और राज्यसभा दोनों से पारित हुए। बार-बार के व्यवधानों के चलते संसद की कार्यवाही बराबर प्रभावित होती रही। लेकिन बावजूद इसके सत्र में कुछ अहम विधेयक पेश और पारित किये गए। समूचे सत्र के दौरान लोकसभा में लगभग 31 प्रतिशत कार्य हुआ,जिसमें 120 घंटे के कुल समय में से केवल 37 घंटे की ही कार्यवाही हो पाई। जबकि राज्यसभा में लगभग 39 प्रतिशत कार्य हो सका,जिसमें कुल 41 घंटे 15 मिनट तक ही कार्यवाही हुई। दोनों सदनों में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद शुरू किए गए ऑपरेशन सिंदूर पर विस्तृत बहस शामिल रही। लोकसभा में इस मुद्दे पर 18 घंटे 41 मिनट तक चर्चा हुई, जिसमें 73 सांसदों ने भाग लिया और प्रधानमंत्री ने जवाब दिया, जबकि राज्यसभा में इसी मसले में 16 घंटे 25 मिनट की चर्चा के दौरान 65 सांसदों ने हिस्सा लिया और गृहमंत्री ने जवाब दिया। विपक्ष के तमाम विरोध के बाद भी यशस्वी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र की जन कल्याणकारी सरकार द्वारा सत्र में कई अहम विधेयक पारित किए गए, जिनमें आयकर (संशोधन) विधेयक 2025, राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025, ऑनलाइन गेमिंग (प्रोत्साहन और विनियमन) विधेयक 2025, पोर्ट्स और शिपिंग से जुड़े पांच विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 और खनन एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 शामिल हैं। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2025 और जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 को चयन समिति के पास भेजा गया, जबकि संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025, केंद्रशासित प्रदेश शासन (संशोधन) विधेयक 2025 और जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 को संयुक्त समिति को सौंपा गया।
इसके अलावा मणिपुर में राष्ट्रपति शासन को 13 अगस्त 2025 से अगले छह महीने के लिए बढ़ाने की मंजूरी दी गई और राज्य का बजट एवं विनियोग विधेयक भी पारित किया गया। भारत के पहले अंतरिक्ष यात्री के अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर पहुंचने और ‘विकसित भारत 2047’ में अंतरिक्ष कार्यक्रम की भूमिका पर भी चर्चा शुरू हुई, लेकिन बार-बार के व्यवधान के कारण यह पूरी नहीं हो सकी। आयकर (संशोधन) विधेयक 2025 12 अगस्त को संसद में पारित किया गया। नया अधिनियम कोई नई कर दर लागू नहीं करता है और केवल भाषा को सरल बनाता है, जो जटिल आयकर कानूनों को समझने के लिए आवश्यक था।
राष्ट्रीय खेल संचालन विधेयक 2025 में राष्ट्रीय खेल निकायों की स्थापना का प्रावधान है राष्ट्रीय ओलंपिक समिति, राष्ट्रीय पैरालंपिक समिति जैसे निकायों को राज्य और जिला स्तर पर सहयोगी इकाइयां स्थापित करनी होंगी। इन निकायों को नैतिकता संहिता बनानी होगी, साथ ही शिकायतों का निपटारा करने के लिए भी एक समिति का गठन करना होगा। राष्ट्रीय खेल प्रशासन अधिनियम में राष्ट्रीय खेल बोर्ड की स्थापना का भी प्रावधान है। ये खेल बोर्ड राष्ट्रीय खेल सोसिएशंस को मान्यता देने और उनके संचालन पर निगरानी रखेगा।ऑनलाइन गेमिंग (प्रोत्साहन और विनियमन) विधेयक 2025 संसद द्वारा 21 अगस्त 2025 को पारित किया गया। यह विधेयक नागरिकों को ऑनलाइन मनी गेम्स के खतरे से बचाने के साथ-साथ अन्य प्रकार के ऑनलाइन गेम्स को बढ़ावा देने और विनियमित करने के लिए एक ऐतिहासिक कदम है। यह कानून त्वरित धन कमाने के भ्रामक वादों पर फलने-फूलने वाले शिकारी गेमिंग प्लेटफॉर्म्स की लत, वित्तीय बर्बादी और सामाजिक संकट को रोकने के लिए बनाया गया है। पोर्ट्स और शिपिंग से जुड़े पांच बड़े समुद्री विधेयक भी पारित हुए हैं, जिन्हें भारत की समुद्री अर्थव्यवस्था और व्यापार जगत के लिए ऐतिहासिक कदम माना जा रहा है। इन नए कानूनों का उद्देश्य औपनिवेशिक युग के पुराने समुद्री कानूनों की जगह आधुनिक और वैश्विक मानकों के अनुरूप नियम लागू करना है, जिससे न केवल व्यापार आसान होगा बल्कि लागत में भी कमी आएगी। इसके अलावा
भारतीय प्रबंधन संस्थान (संशोधन) विधेयक 2025 18 अगस्त, 2025 को लोकसभा में पेश किया गया। यह विधेयक भारतीय प्रबंधन संस्थान अधिनियम, 2017 में संशोधन का प्रयास करता है। यह अधिनियम भारतीय प्रबंधन संस्थानों (आईआईएम) को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान घोषित करता है और उनके कामकाज को विनियमित करता है। खनन एवं खनिज (विकास और विनियमन) संशोधन विधेयक 2025 का उद्देश्य महत्वपूर्ण और रणनीतिक खनिजों पर विशेष ध्यान देते हुए भारत के खनिज क्षेत्र को और अधिक उदार और आधुनिक बनाना है। विधेयक के जरिये मूल खान एवं खनिज (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1957 में संशोधन किया गया है। संशोधन विधेयक में खनन ढांचे को आधुनिक बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण परिवर्तन किए गए हैं, जिसमें खनन पट्टाधारक अब अतिरिक्त रायल्टी का भुगतान किए बिना अपने मौजूदा परिचालन में नए खनिजों, विशेष रूप से लिथियम, कोबाल्ट और निकल जैसे महत्वपूर्ण खनिजों को शामिल कर सकते हैं। यह विधेयक गहरे खनिजों के लिए खनन क्षेत्रों के एकमुश्त विस्तार की अनुमति देता है और कैप्टिव खदानों से खनिजों की बिक्री पर 50 प्रतिशत की सीमा हटाता है। राज्यों को खनिज भंडारों की बिक्री की अनुमति देने का भी अधिकार देता है। दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य लगातार आ रही बाधाओं को दूर करना, प्रक्रियात्मक दक्षता बढ़ाना, लेनदारों को सशक्त बनाना और भारतीय दिवाला पारिस्थितिकी तंत्र को सर्वोत्तम वैश्विक प्रथाओं के अनुरूप बनाना है। जन विश्वास (संशोधन) विधेयक 2025 का उद्देश्य 16 केंद्रीय अधिनियमों के 355 प्रावधानों में संशोधन करके उनकी उपयोगिता को आसान बनाना है। इनमें से 288 प्रावधानों को गैर-अपराधीकरण करने और 67 प्रावधानों में 'जीवन की सुगमता' को सुगम बनाने के लिए संशोधन का प्रस्ताव है। सरकार ने सदन के अध्यक्ष से इस विधेयक को समीक्षा के लिए प्रवर समिति को भेजने का अनुरोध किया है।
संविधान (130वां संशोधन) विधेयक 2025 दोषसिद्धि से पहले 'सत्ता के नैतिक मानदंड' की रक्षा करता है। ठीक उसी तरह जैसे सिविल सेवाओं में 48 घंटे से अधिक की हिरासत पर 'डीम्ड सस्पेंशन' लागू हो जाता है। वस्तुतः इस विधेयक में कहा गया है कि कोई भी मंत्री जो किसी गंभीर अपराध के लिए 30 दिनों तक जेल में रहेगा,वह अपना पद खो देगा। कोई मंत्री, जो इस पद पर रहते हुए लगातार तीस दिनों की किसी अवधि के दौरान, किसी भी समय कानून के तहत कोई अपराध करने के आरोप पर गिरफ्तार किया जाता है और हिरासत में रखा जाता है, जो पांच वर्ष या उससे अधिक की अवधि के कारावास से दंडनीय है, उसे ऐसी हिरासत में लिए जाने के बाद, इकतीसवें दिन मुख्यमंत्री की सलाह पर उसे राष्ट्रपति द्वारा उसके पद से हटा दिया जाएगा। विधेयक में कहा गया है कि यदि ऐसे मंत्री को हटाने के लिए मुख्यमंत्री की सलाह इकतीसवें दिन तक राष्ट्रपति को नहीं दी जाती है, तो वह उसके बाद आने वाले दिन से मंत्री नहीं रह जाएगा।
जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (संशोधन) विधेयक 2025 के तहत यदि जम्मू-कश्मीर में किसी मंत्री को पांच वर्ष या उससे अधिक कारावास की सजा वाले अपराध के आरोप में गिरफ्तार किया जाता है और लगातार 30 दिनों तक हिरासत में रखा जाता है, तो उसे पद से हटा दिया जाएगा। उपराज्यपाल (एलजी) मुख्यमंत्री की सलाह पर मंत्री को हटाएंगे। यदि मुख्यमंत्री कार्रवाई करने में विफल रहते हैं, तो मंत्री 31वें दिन से स्वतः ही पद पर नहीं रहेंगे। यदि मुख्यमंत्री को इसी तरह के आरोपों में गिरफ्तार कर 30 दिनों के लिए हिरासत में रखा जाता है तो उन्हें 31वें दिन तक इस्तीफा देना होगा। यदि इस्तीफा नहीं दिया जाता है तो अगले दिन से मुख्यमंत्री स्वतः ही पद खो देंगे।