General Knowledge : कहां से आई जलेबी और कहां से आया समोसा, क्‍या जानते हैं आप?

General Knowledge : कहां से आई जलेबी और कहां से आया समोसा, क्‍या जानते हैं आप?

General Knowledge : आजकल जलेबी, समोसा जैसे जंक फूड को लेकर भारत में खूब चर्चा हो रही है.स्वास्थ्य मंत्रालय ने एक बड़ा फैसला लिया है जिससे समोसा,जलेबी और लड्डू जैसे पसंदीदा नाश्तों पर सिगरेट की तरह हेल्थ वॉर्निंग लगेगी. ये कदम बढ़ते मोटापे और लाइफस्टाइल बीमारियों जैसे डायबिटीज,हार्ट डिजीज और हाइपरटेंशन से निपटने के लिए उठाया गया है. आइए जानते हैं कि जलेबी और समोसा आए कहां से?

अब बात करते हैं कि ये स्वादिष्ट नाश्ते कहां से आए?

 समोसा की उत्पत्ति मध्य एशिया से मानी जाती है.यह मध्‍य एशिया और अफगानिस्‍तान में खाया जाता था.इतिहासकारों के मुताबिक भारत में यह 13वीं-14वीं सदी में आया जब दिल्ली सल्तनत के जमाने में कई विदेशी खानसामे भारत आए. ये पहले मांस से भरा हुआ होता था और संबूसा के नाम से जाना जाता था. भारत में आने के बाद इसे स्थानीय स्वाद के साथ ढाला गया और आज आलू या अन्य सब्जियों से भरा समोसा हर कोने में मिलता है.एक रिपोर्ट में बताया गया है कि एक साल में भारत में 21,000 करोड़ समोसे खाए जाते हैं,जो इसकी लोकप्रियता को दर्शाती है.

 कहां से आई जलेबी?

जलेबी की कहानी भी दिलचस्प है.जलेबी को भी हम देसी मान बैठे हैं लेकिन इसका जन्म भी पश्चिम एशिया में हुआ था.इसका असली नाम जलेबिया था जो अरब और ईरान में लोकप्रिय था. यह भारत में मुगल काल में आई और फिर इसे देसी मिठास के साथ तैयार किया गया.इतिहासकारों की मानें तो 15वीं सदी में मुगल शासकों के साथ जलेबिया भारत आई और यहां की मिठास के साथ मिलकर जलेबी बन गई. गर्मागर्म जलेबी में डूबा चाशनी आज भी हर भारतीय के लिए एक पसंदीदा ट्रीट है. एक रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय सालाना 34 करोड़ जलेबी खाते हैं.

क्‍या है स्वास्थ्य मंत्रालय का नया आदेश?

भारत सरकार के स्वास्थ्य मंत्रालय ने हाल ही में केंद्रीय संस्थानों जैसे AIIMS नागपुर और अन्य सरकारी दफ्तरों में तेल और शक्कर बोर्ड लगाने का आदेश दिया है. ये बोर्ड जंक फूड में छिपे चीनी,वसा और तेल की मात्रा को दर्शाएंगे ताकि लोग अपने खान-पान के असर को समझ सकें.रिपोर्ट्स के मुताबिक, ये कदम पीएम नरेंद्र मोदी के फिट इंडिया अभियान का हिस्सा है जिसका मकसद देश में तेल के इस्तेमाल को 10% तक कम करना और लोगों को सेहतमंद जीवनशैली अपनाने के लिए प्रेरित करना है. ये बोर्ड सिगरेट पैकेट्स पर लगने वाली चेतावनियों की तरह काम करेंगे जहां लिखा होगा कि इन नाश्तों में कितना फैट और शुगर है और इनका सेहत पर क्या असर पड़ सकता है.

समोसा, जलेबी को लेकर चेतावनी

इस आदेश में समोसा,जलेबी और लड्डू खाने को लेकर चेतावनी दी गई है. एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 2050 तक भारत में 44.9 करोड़ लोग मोटापे या अधिक वजन से ग्रस्त हो सकते हैं जो इसे अमेरिका के बाद दूसरा सबसे प्रभावित देश बना सकता है. इस रिपोर्ट ने जंक फूड पर सख्ती की जरूरत को रेखांकित किया है और यही वजह है कि सरकार ने इन नाश्तों पर वॉर्निंग बोर्ड लगाने का फैसला किया.

क्या ये नाश्ते वाकई खतरनाक हैं?

हेल्थ एक्सपर्ट्स का कहना है कि समोसा, जलेबी और लड्डू में मौजूद ज्यादा तेल और चीनी लंबे समय में सेहत के लिए नुकसानदेह हो सकते हैं. उदाहरण के लिए एक गुलाब जामुन में करीब पांच चम्मच चीनी हो सकती है और एक समोसा 11-12 ग्राम तेल तक ले सकता है. ये चीजें रोजाना खाने से मोटापा, डायबिटीज और हार्ट प्रॉब्लम्स का खतरा बढ़ता है हालांकि सरकार का मकसद इन्हें बैन करना नहीं बल्कि लोगों को जागरूक करना है ताकि वे संतुलित मात्रा में इनका आनंद ले सकें.

आगे क्या होगा?

ये वॉर्निंग बोर्ड पहले केंद्रीय संस्थानों में लगेंगे और धीरे-धीरे स्कूलों,रेस्तरां और बाजारों तक पहुंच सकते हैं. साथ ही फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (FSSAI)भी पैकेज्‍ड फूड पर सख्त लेबलिंग नियम लाने की तैयारी में है.इससे लोगों को अपने खाने को लेकर सही फैसले लेने में मदद मिलेगी.तो अगली बार जब आप समोसा या जलेबी खाएं तो एक बार इनके पीछे छिपे फैक्ट्स पर गौर जरूर करें. ये नाश्ते हमारी संस्कृति का हिस्सा हैं, लेकिन सेहत का ख्याल रखना भी जरूरी है.