Jashpur Big News : पत्थलगांव बस स्टैंड में शौचालय की सुविधा पर उठा सवाल..नगर प्रशासन अपनी ही जमीन को नहीं कर पा रहा कब्जामुक्त,"फंड है, समर्थन है, ज़रूरत है, लेकिन बस जगह नहीं है”

Jashpur Big News : पत्थलगांव बस स्टैंड में शौचालय की सुविधा पर उठा सवाल..नगर प्रशासन अपनी ही जमीन को नहीं कर पा रहा कब्जामुक्त,"फंड है, समर्थन है, ज़रूरत है, लेकिन बस जगह नहीं है”

पत्थलगांव/जशपुरनगर। छत्तीसगढ़ के जशपुर जिले के पत्थलगांव में शहर का हृदय स्थल बस स्टैंड एक बार फिर चर्चा में है, कारण एक ऐसी बुनियादी सुविधा की कमी, जो हर मुसाफिर के लिए जरूरी है सार्वजनिक पेशाबघर (ओपन यूरिनल) बीते कई वर्षों से स्थानीय नागरिकों और मीडिया द्वारा इस समस्या को लगातार उजागर किया गया, लेकिन प्रशासन अब भी इसे सुलभ शौचालय की उपलब्धता का हवाला देकर नजरअंदाज कर रहा है।

बता दें प्रशासन का दावा है कि पत्थलगांव बस स्टैंड परिसर में पुरुषों और महिलाओं दोनों के लिए सुविधाजनक शौचालय मौजूद हैं, जहां महिलाओं से किसी भी तरह का शुल्क नहीं लिया जाता। यह दावा हो सकता है सच भले हो, लेकिन ज़मीनी हकीकत में यहां उपलब्ध सुलभ शौचालय के साथ साथ यहां ओपन यूरिनल की जरूरत भी है। दस साल पहले जो सार्वजनिक पेशाबघर तोड़ा गया था, उसकी पुनःस्थापना महज आज तक इसलिए नहीं हो सका क्योंकि कई एकड़ों में मौजूद बस स्टैंड की शासकीय जमीन बेजा कब्जेधारियों की जद में है।आलम यह है कि बस स्टैंड में अब सवारी बसों के खड़ी होने के लिए जगह तक नहीं है।

वहीं, प्रशासन उस तोड़े गए पेशाबघर की जरूरत को सुलभ शौचालय से जोड़कर जवाब दे रहा है, लेकिन आम महिला राहगीरों और स्थानीय यात्रियों की पीड़ा यह है कि बस स्टैंड जैसी भीड़भाड़ वाली जगह में एक ओपन यूरिनल या सार्वजनिक पेशाबघर जरूरी है, जो तुरंत और आसानी से उपयोग में लाया जा सके।

दरअसल, विशेष बात यह है कि स्थानीय विधायक श्रीमती गोमती साय और नगर पंचायत की महिला जनप्रतिनिधियों ने इस मुद्दे को प्राथमिकता में लेकर इसके लिए फंड भी स्वीकृत कराया था। बावजूद इसके, नगर प्रशासन अपनी ही जमीन को कब्जामुक्त नहीं कर पा रहा है। बस स्टैंड की अधिकांश सरकारी जमीन व्यवसायियों के नाम रजिस्ट्री हो चुकी है, और शेष पर अतिक्रमण कर पक्का निर्माण खड़ा कर दिया गया है। परिणामस्वरूप, न पेशाबघर बन पा रहा है, न सवारी बसों के खड़े रहने के लिए पर्याप्त जगह बची है।प्रशासन का यह भी कहना कि पहले मौजूद ओपन यूरिनल को डिस्मेंटल कर दिया गया था और वर्तमान में बस स्टैंड परिसर में कोई खाली स्थान नहीं बचा है जहाँ दोबारा यूरिनल बनाया जा सके।अपनी जमीन को कब्जामुक्त करने में उदासीनता बरतने जैसा प्रतीत हो रहा है।

फंड है, जनप्रतिनिधियों का समर्थन है, ज़रूरत भी है — लेकिन बस “जगह नहीं है”

फिलहाल, सवाल यह है कि क्या पत्थलगांव के नागरिक और महिलाएं बस स्टैंड जैसी जगह पर ओपन यूरिनल जैसी बुनियादी सुविधा सिर्फ अतिक्रमित शासकीय जमीन को प्रशासन द्वारा नहीं निकाल पाने की वजह से वंचित रहेंगे, या प्रशासन अब भी बस स्टैंड से अतिक्रमण हटाकर गंभीरता से समाधान निकालेगा?