Jashpur News : 4 साल बाद जशपुर के राजमिस्त्री को मिला न्याय..कोर्ट ने दिया 13 लाख 50 हजार मुआवजा देने का आदेश..पढ़ें पूरी ख़बर

Jashpur News : 4 साल बाद जशपुर के राजमिस्त्री को मिला न्याय..कोर्ट ने दिया 13 लाख 50 हजार मुआवजा देने का आदेश..पढ़ें पूरी ख़बर

जशपुर नगर : छत्तीसगढ़ के जशपुर जिला न्यायालय ने करंट हादसे में दिव्यांग हुए राजमिस्त्री अनूप भगत के पक्ष में ऐतिहासिक फैसला सुनाया. कोर्ट ने अपने फैसले में मकान मालकिन सावित्री बाई और राज्य विद्युत वितरण कंपनी को संयुक्त रूप से 13 लाख 50 हजार क्षतिपूर्ति भुगतान करने का आदेश दिया. इस आदेश ने उस परिवार को राहत दी है, जो पिछले चार वर्षों से बेटे की लाचारी और आर्थिक तंगी के बीच संघर्ष कर रहा था.

 

कोर्ट ने सुनाया ऐतिहासिक फैसला

 

वहीं, यह घटना 23 जून 2020 की है, जब बाधरकोना निवासी जसंती बाई का बेटा अनूप भगत चिरोडिपा में सावित्री बाई के घर निर्माण कार्य कर रहा था. तभी निर्माण स्थल के समीप लगे बिजली के खंभे से बारिश के पानी में फैले करंट की चपेट में आकर अनूप गंभीर रूप से घायल हो गया. हादसे के बाद उसे जिला चिकित्सालय ले जाया गया, जहां प्राथमिक उपचार के बाद स्थिति बिगड़ने पर रायपुर रेफर किया गया. लंबे इलाज के बावजूद अनूप पूरी तरह स्वस्थ नहीं हो सका. जिला मेडिकल बोर्ड की जांच में उसे 70 प्रतिशत स्थायी दिव्यांग घोषित कर दिया गया.

 

दरअसल, कोर्ट ने मुआवजा देने का आदेश दिया: जिला कोर्ट से मिले आदेश के बाद परिवार को थोड़ी राहत मिली है. परिवार लंबे वक्त से आर्थिक तंगी से जूझ रहा है. अनूप पिता की मौत के बाद एकमात्र घर में कमाने इंसान था. करंट लगने के बाद उसके इलाज में भी काफी पैसा परिवार का खर्च हो गया. अनूप की मां के ऊपर परिवार और अनूप के इलाज का भार आ गया. मां जसंती बाई बड़ी मुश्किल से मेहनत मजदूरी कर परिवार की गाड़ी को खीच रही हैं.

 

"दुर्घटना के बाद से पूरा परिवार गहरे संकट में है. अनूप ही घर का सहारा था, उसकी कमाई से ही परिवार चलता था. आज वह बिस्तर पर है और घर चलाने की जिम्मेदारी मेरे कंधों पर आ गई है. अदालत में बेटे के लिए न्याय की लड़ाई लड़ना मेरे लिए बेहद कठिन था, लेकिन आज न्यायालय का आदेश सुनकर दिल को सुकून मिला है"- जसंती बाई, अनूप की मां

 

"भाई हमारी ताकत था, पर अब खुद दूसरों के सहारे है. पढ़ाई पूरी कर जल्द नौकरी करना चाहती हूं ताकि परिवार का बोझ कुछ कम कर सकूं"- रुचि, अनूप की बहन

 

"हादसे और लापरवाही ने मेरी जिंदगी को बिस्तर पर लाकर डाल दिया. पहले अपने हाथों से घर बनाए, पर आज खुद उठकर बैठ भी नहीं सकता. चार साल से बिस्तर पर हूं और सरकार से केवल पांच सौ रुपये मासिक पेंशन मिलता है. इससे न इलाज चलता है न घर"- अनूप, पीड़ित

 

लापरवाही का हुआ अनूप हुआ शिकार

 

दरअसल, वादी पक्ष की ओर से अधिवक्ता सत्य प्रकाश तिवारी ने अदालत में दलील दी कि ''निर्माण स्थल पर सुरक्षा इंतजाम का अभाव और विद्युत कंपनी की लापरवाही ही इस दुर्घटना का कारण है. हादसे में राजमिस्त्री अनूप पूरी तरह असमर्थ हो गया है, ऐसे में क्षतिपूर्ति दिया जाना आवश्यक है. अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलों और प्रस्तुत प्रमाणों पर विचार करने के बाद यह मानते हुए कि घटना लापरवाही का नतीजा थी, सावित्री बाई और विद्युत वितरण कंपनी को संयुक्त रूप से मुआवज़ा भुगतान का आदेश दिया''.

 

परिवार को मिली आर्थिक मदद

 

फिलहाल, इस फैसले से अनूप और उसके परिवार को आर्थिक सहारा मिलने की उम्मीद जगी है. हालांकि जीवन की कठिनाइयां अभी बाकी हैं, लेकिन अदालत का निर्णय उस परिवार के लिए राहत और न्याय का नया सबूत है. यह मामला इस बात की भी याद दिलाता है कि असुरक्षित परिस्थितियों में मजदूर किस खतरे में काम करते हैं और किसी दुर्घटना के बाद उनका परिवार किस तरह बरसों तक न्याय और सहारे के लिए भटकता रहता है.