CG Big News : एक नई मिसाल, एक नई पहल.! पीईकेबी खदान बनी छत्तीसगढ़ की पहली सौर ऊर्जा से संचालित खदान..पढ़ें पूरी ख़बर

Chhattisgarh News/अंबिकापुर। सरगुजा जिले में संचालित राजस्थान राज्य विद्युत उत्पादन निगम की परसा ईस्ट कांता बासेन (पीईकेबी) खदान ने नौ मेगावाट क्षमता वाले सौर ऊर्जा बिजली संयंत्र की स्थापना के साथ पर्यावरण के अनुकूल खनन की दिशा में एक नई मिसाल कायम की है। इस पहल के साथ, पीईकेबी खदान राज्य की पहली ऐसी खदान बन गई है, जो पूर्ण रूप से सौर ऊर्जा पर आधारित है और शत-प्रतिशत ऊर्जा के साथ आत्मनिर्भर बन चुकी है। यह पूरे देश की सैकड़ों खदानों में एक विशेष उपलब्धि है, जहां इतनी बड़ी सौर ऊर्जा का प्रयोग खदान की अपनी बिजली आपूर्ति के लिए किया गया है। शुक्रवार को पीईकेबी खदान में नौ मेगावाट क्षमता वाले अक्षय ऊर्जा संयंत्र का उद्घाटन किया गया। अम्बिकापुर के विधायक श्री राजेश अग्रवाल ने पैनल बोर्ड के स्विच को चालू कर संयंत्र को प्रारंभ किया। उन्होंने पीईकेबी खदान में पहले खनन की गई लगभग ३० एकड़ भूमि में लगाए गए सौर ऊर्जा संयंत्र का निरीक्षण किया और उसके उपयोग तथा पीईकेबी खदान द्वारा पर्यावरण और स्थानीय लोगों के उत्थान के लिए की गई अनेक पहलों के बारे में विस्तृत जानकारी भी ली। राजस्थान सरकार ने अदाणी एंटरप्राइजेज को प्रतिस्पर्धात्मक बोली के तहत खदान के विकास के लिए अनुबंध दिया है।
बता दें कि, पीईकेबी खदान छत्तीसगढ़ के उदयपुर क्षेत्र में स्थित है और यह क्षेत्र में रोजगार, बुनियादी ढाँचे और सतत विकास के कई आयामों में योगदान दे रही है। इसके अलावा, १५.६८ लाख से ज्यादा पेड़ लगाए गए हैं, वहीं १००० से ज्यादा बच्चों को अंग्रेजी माध्यम में नि:शुल्क उत्कृष्ट शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है। पीईकेबी खदान राजस्थान राज्य के करीब आठ करोड़ बिजली उपभोक्ताओं के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना है।
वहीं, राजेश अग्रवाल ने अपने उद्बोधन में कहा, "अदाणी समूह द्वारा पीईकेबी खदान में सौर ऊर्जा का प्लांट स्थापित किया गया है, जो एक महत्वपूर्ण कार्य है। आज देश दुनिया में कार्बन उत्सर्जन को कम करने के लिए कई उपाय किए जा रहे हैं, जिनमें से सौर ऊर्जा से बिजली उत्पादन करना भी शामिल है। मुझे जानकारी मिली है कि सोलर प्लांट के द्वारा यदि सालाना २१.३७ लाख यूनिट बिजली ग्रिड में भेजी जाती है, तो वह १७०९४ टन कार्बन उत्सर्जन को कम करता है, जो कि १ लाख वृक्ष के समकक्ष है। अदाणी एंटरप्राइजेज की यह पहल क्षेत्र में पर्यावरण के संतुलन के साथ कार्बन उत्सर्जन को कम करने का एक सार्थक प्रयास है।"
वहीं, अदाणी ग्रीन एनर्जी लिमिटेड की सहयोगी संस्था मुंद्रा सोलर पीवी लिमिटेड द्वारा स्थापित नौ मेगावॉट क्षमता का यह सौर ऊर्जा संयंत्र पीईकेबी खदान में करीब ३० एकड़ में फैला हुआ है। यह आने वाले २५ वर्षों में चार लाख टन कार्बन उत्सर्जन को कम करेगा, जो कि २५ लाख पेड़ों के समकक्ष है। यह पहल समूह द्वारा देश में ऊर्जा जरूरत को पूरा करने हेतु सतत खनन के साथ-साथ पर्यावरण अनुकूल संचालन प्रक्रिया के प्रति उसकी प्रतिबद्धता को दर्शाती है। सूर्य से प्राप्त अक्षय ऊर्जा का प्रयोग कर यह खदान अब खनन उद्योग के लिए एक नई दिशा प्रस्तुत कर रही है, जिससे पारंपरिक ऊर्जा स्रोतों पर निर्भरता कम होगी और कार्बन उत्सर्जन में भी उल्लेखनीय गिरावट आएगी।
दरअसल, पीईकेबी खदान की यह पहल दर्शाती है कि खनन क्षेत्र भी सतत विकास के पथ पर अग्रसर होकर अपनी पर्यावरणीय जिम्मेदारियों का निर्वहन कर सकता है। इसके अलावा हाल ही में, अदाणी नेचुरल रिसोर्सेज ने रायगढ़ के गारे पेलमा ३ में माइनिंग लॉजिस्टिक्स में देश का पहला हाइड्रोजन ट्रक भी लॉन्च किया है जो पर्यावरण संरक्षण में महत्वपूर्ण कदम है। इस तरह की परियोजनाएं राज्य के अन्य औद्योगिक क्षेत्रों को भी नवीकरणीय ऊर्जा को अपनाने की प्रेरणा दे सकती हैं। यह पहल खदान में निरंतर पर्यावरण-संवेदनशील और समुदाय-केंद्रित विकास मॉडल को अपनाएगी। इस दौरान राजस्थान सरकार के निगम के अधिकारियों सहित खदान के चीफ ऑफ क्लस्टर मुकेश कुमार, क्लस्टर एच आर हेड राम द्विवेदी और खदान प्रमुख बिपिन सिंह उपस्थित थे।
फिलहाल, अग्रवाल ने पीईकेबी खदान में खनन की गई भूमि पर किए जा रहे वृहद वृक्षारोपण कार्यक्रम देखने हेतु नर्सरी का दौरा किया। उन्होंने यहां साल की नर्सरी का अवलोकन कर पौधारोपण भी किया। इस मौके पर उन्होंने कहा, "पीईकेबी खदान में खननकर्ताओं द्वारा १५ लाख से ज्यादा पेड़ लगाकर जो वन का विकास किया जा रहा है, वह एक प्रशंसनीय प्रयास है। और खासकर साल का पौधा, जो कहीं तैयार नहीं हो सकता है, उसे भी यहां विकसित किया जा रहा है, जो कि पर्यावरण की दृष्टि से काफी महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल है। इसके लिए मैं अदाणी प्रबंधन को बधाई देता हूं।"